चुप थी में, आम आदमी की तरह लोह पुरुष की वाणी में खोई हुई। चुप थी में, आम आदमी की तरह लोह पुरुष की वाणी में खोई हुई।
रहूँ उस संग जीवन भर ऐसे नदिया संग किनारा जैसे। रहूँ उस संग जीवन भर ऐसे नदिया संग किनारा जैसे।
निशब्द हुई मेरी लेखनी माँ खुद ममता का सम्मान तुम। निशब्द हुई मेरी लेखनी माँ खुद ममता का सम्मान तुम।
लाना इस बार कुछ लम्हें मेरे हिस्से के साथ जो सदियों से उधार है तुम पर। लाना इस बार कुछ लम्हें मेरे हिस्से के साथ जो सदियों से उधार है तुम पर।
न हो दुखी ले लो जो भी किस्मत से मिले, किसी को मिले पूरा तो किसी को आधा टुकड़ा मिले। न हो दुखी ले लो जो भी किस्मत से मिले, किसी को मिले पूरा तो किसी को आधा टुकड़...
क्यों उसकी एक हंसी के लिए तरस गया हूं मैं क्या इतना बुरा हो गया हूँ मैं। क्यों उसकी एक हंसी के लिए तरस गया हूं मैं क्या इतना बुरा हो गया हूँ मैं।